गुरुवार, 5 फ़रवरी 2009

जमीं की रौनक

गुल-गुलशन-गुलफाम
दुनियां का चैन आराम
जिन्दा जन्नत का पैगाम
है ये दरख्तो की टोली
इन्सानो की हम जोली

दरख्त ही है जमीं के ताज
इन्ही से जिन्दा हम आज
यही है बादशाह जमीं के बेताज
इनके बिना न होता आदमियत का आगाज
न जानवर होता न कोई परिन्दा करता परवाज

दरख्तो से है चहूं ओर हरियाली
हर दिल मे खुशियाली
हर दिन ईद, हर रात-दिवाली

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