दुनियां को तारने के लिए नाव और पतवार चाहिए
वतन को फिर इक नया इतिहास चाहिए
नौजवानों के लहू मे उफान चाहिए
अमन और शांति के लिए फिर इक नया इंकलाब चाहिए
जमी बदली, जमां बदला, जमाने की हवाएं बदली
वक्त की चाल बदलने के लिए फिर इक नया तूफान चाहिए
गरदिश मे न रहे, न जीये कोई गुमराही की जिन्दगी
इंसानियत के लिए फिर एक नया आगाज चाहिए
गुरुवार, 5 फ़रवरी 2009
नया इंकलाब चाहिए
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Aapk Salah Ke liye Dhnyavad