हाथ बांध बैठे रहने से हासिल कुछ नही होता
पतवार चलाते रहने से दूर साहिल नही होता
इंसान खुद एक तूफान है
उसके मग मे कोई तूफान दीवार नही होता।
दम मे आ जाये तो मौजो की रवानी को उलट दे
आसमान मे उड़ते परिंदो के रूख को पलट दे
इंसान खुद एक अंगारा है
उसके लिए कोई तन्दूर नही होता
कुछ कर गुजरने की तमन्ना हो तो आयाम बदल देता है
जुड जाए गर इंसान दिल से
मुरझाई कलियां खिला देता है
इंसान एक फूल है
उसके लिए कोई कांटा रूकावट नही होता।
गुरुवार, 5 फ़रवरी 2009
इंसान एक तूफान है
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वाह्! बहुत खूब.......
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