गुरुवार, 5 फ़रवरी 2009

मेरे सपनों का भारत

मेरे सपनो का ऐसा होगा भारत
जिसमे न कभी होगी महाभारत
शुद्व-आबो हवा होगी
मरीजो के लिए मुफ््त दवा होगी
भ्रश्टाचार- साम्प्रदायिकता का न होगा नामो-निशा
ईमानदारी हर आदमी करेगा बयां।
कालाबाजारी का न दंश होगा
बेईमानी का न अंश होगा
न अब फिर पैदा कोई कंस होगा
न करेगा कोई दुष्टो की संगत
भारतवर्ष को याद करेगा सारा जगत
न कोई होगा बगुला भगत।
हर किसी के लिए काम होगा
ब्लैक- मेलिंग का न नाम होगा
न किसी के हाथ मे जाम होगा

योग्यता के लिए यहॉं हर कदम पर ईनाम होगा
गरीबो के लिए भी आराम होगा।
समानता का कानून होगा
भ्रष्टाचार- बेईमानी यहॉं गैर-कानूनी होगा
हर-जगह अमन होगा
जानवरो के लिए उन्मुक वन-गमन होगा
देश हमारा चमन होगा।
इंसानियत का हर तरफ होगा बोलबाला
गद्दारो का होगा मुंह काला
जब कोई हमसे लेगा पाला
खुल जायेगा उसके क्रियाकर्म का ताला।
अमावस की न होगी काली रात
दुश्मन हमेशा खाएंंगे मात
जमेगी इंसानियत की धाक
दुश्मन जलकर हो जाएंगे खाक
विश्व की भारत फिर होगा नाक।
हर किसी का होगा मन चंगा
खुशियाली की कटौती मे बहेगी गंगा
न किसी की मनमानी होगी
सत्यता की मुक्त वाणी होगी
न कोई करेगा पाप
न निघZनो के अरमान होंगे भाप
यही है मेरा सपना
गैरो के लिए भी भारत हो अपना।

2 टिप्‍पणियां:

  1. ghosi saheb assalam.
    achi koshish ki hai apney likhney ki.
    mera naam sayyid shahid hai.mauqa miley to hamen likhiyeye;-ssfoundationtrust@gmail.com
    09910775722

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  2. hame yah bahut hin accha laga sunkar;
    ham bhi hake bake ho gaye yah sochkar.

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Aapk Salah Ke liye Dhnyavad