गुरुवार, 5 फ़रवरी 2009

कुछ और बात होती

आप गर हमारी जिन्दगी मे आते और बात होती
आकर फिर न जाते वो कुछ और बात होती

हंसना गर आपकी फितरत मे नही तो ये और ये और बात हैं
एक बार मुस्कुरा कर भी जाते तो कुछ और बात होती

हमसे खता हुई तो ये और बात हैं
नाराजगी का सबब बतलाते तो कुछ और बात होंती

दिल मे हसरत न रहती अरमान बनकर
जो आप हमसे बयान करते मंजर

फिर चले जाते तो और बात होती
वापस न आते लौटकर तो कुछ और बात होती

आपको गर हम पर नाज होता तो और बात होती
गम मे गर हमारा साथ देते तो कुछ और बात होती

जो आप हमसे एक बार भी मुलाकात करते तो और बात होती
आकर फिर न बिछड़ते तो कुछ और बात होती

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