क्रिकेट मुगल साम्राज्य
सलामी आक्रामक बल्लेबाज जहीरूद्दीन मोहम्मद बाबर ने धुंआधार बल्लेबाजी कर मुगल क्रि्रकेट पारी को विस्फोटक शुरूआत दी। बाबर ने इब्राहीम लोदी, राणा सांगा, मेदीनीराय, महमूद लोदी, नूशरत शाह की फास्टर बॉलों की खतरनाक धुलाई की। बाबर के विकेट गिरने के पश्चात् हूमायू क्र्रीज पर नही जम पाये तथा शेरशाह की चौसा, बिलग्राम पर रिटायर्ड हर्ट हुए लेकिन जल्दी ही वो अपना इलाज कराकर पुन: मैदान मे लौटे।
हूमायू के पश्चात मध्यक्रम के अनुभवी बल्लेबाज अकबर ने अपनी शतकीय पारी खेलकर स्थिति को सुदृढ़ता प्रदान की। उसने राजपूतों की बॉलों पर सभी स्टाइलों के स्ट्ªोक (साम, दाम, दण्ड, भेद) लगाये। अकबर ने `दीन-ए-इलाही´ `मजहर´ `सुलह-ए-कूल´ आदि स्ट्ªोक भी खेले जो काबिले तारिफ थे। अकबर ने अपनी पारी मे 21 महत्वपूर्ण चौकें (मालवा, चुनार, आमेर, मेड़ता, गोंडवाना, मेवाड़ रणथम्भौर, कालिंजर, राजपूताना, गुजरात, बिहार, बंगाल, काबुल, कश्मीर, सिंध, उड़ीसा, कन्धार, बलोचिस्तान, खानदेश, अहमद-नगर, असीरगढ़ विजय) लगाये।
अकबर ने पश्चात जहांगीर तथा शाहजहां ने पारी को सम्भाले रखा लेकिन जहांगीर के समय ही रन-रेठ कम होने लग गई थी।
जहांगीर तथा शाहजहां की साझेदारी के समय तेग बहादुर (सिक्ख-गुरू) ने शाहजहां को जीवनदान दिया जिसके पश्चात जहांगीर ने क्रीज संभालकर उसकी बॉलों की धुनाई शुरू कर दी। यह क्रम कप्तान औरंगजेब तक चला। कप्तान औरंगजेब ने खतरनाक अंदाज मे खेलते हुए जाटों, सिक्खों, मराठों, सतनामियों, राजपूतों की बॉलों पर चौके-छक्के लगाकर रनों की बारिस शुरू कर दी एवं पारी को अच्छे स्कोर की ओर बढ़ाया। धुंआधार बल्लेबाजी को देखकर मराठों व राजपूतों ने क्षेत्ररक्षण मे परिवर्तन किया व फिल्डींग को उत्यंत टाइट कर दिया। कप्तान औरंगजेब मराठो की गेंद पर रन-आऊट हुए।
कप्तान के पेवेलियन लौटने के पश्चात् पतन का दौर शुरू हुआ तथा क्रीज पर विकेट कीपर बहादुरशाह जफर तथा फरूZखशियर के अलावा कोई नही टिक पाया।
महराणा संग्राम सिंह की गिनती महानतम बल्लेबाजो मे होती थी। लेकिन वे बाबर की गेंदो को नही खेल पाये। बाबर ने महमूद लोदी (1526 ई। पानीपत), राणा सांगा (1527 ई. खानवा), मेदीनीराय (1528 ई. चन्देरी) के लगातार विकेट झटककर शानदार हैट््रीक बनाई।
हूमायूं ने तातार खां (मच्छीवाड़ा) तथा सिकन्दर सूर (सर हिन्द) के रूप मे सफलता प्राप्त की लेकिन विजय का `सेहरा´ ऑलराउण्डर जलालुद्वीन मोहम्मद अकबर के माथे `मेन ऑफ द मैच´ के रूप मे बंधा जिन्होने अपनी िस्पन बॉलों द्वारा मध्यमक्रम के आक्रामक बल्लेबाज महाराणा प्रताप जो अंत तक नोट-आउट रहे को छकाया। `हल्दीघाटी´ कैच को अकबर लपक नही पाया और महाराणा प्रताप को जीवनदान मिला। जिसके पश्चात महाराणा प्रताप ने अकबर की गेंदो को प्लेड़ कर खेला। अकबर ने मनसबदारी स्टाइल मे बॉलिंग कर राजपूत पारी की रन गति को करारे झटके दिये जिससे व अन्त तक उबर नही पाये।
कप्तान औरंगजेब ने अपनी जजियां बॉलों द्वारा प्रतिद्विन्द्वयो को बहुत परेशान किया। उसने शिवाजी को पग-बाधा आउट करने की चूक की जिसकी बदौलत शिवाजी ने रक्षात्मक रवैया आिख्तयार किया।
(ये केवल मनोरंजन के तौर पर व्यंग्य में लिखी है, किसी की भावना को ठेस पहुंचाने की मेरी कोई मंशा नहीं है।)
gajab likha bhai bahut badhiya
जवाब देंहटाएंaapne up4bhadas join kiya iska shukriya
जवाब देंहटाएंaap apne blog ko logo sahit mere blog par dekh sakte hain......maine update kar diya hai
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