गुरुवार, 12 फ़रवरी 2009

अनसुलझा रहस्य

अनसुलझा रहस्य

कहानी

वातावरण जब शान्त होता है, तन्हाई होती है तो अमीर का मस्तिष्क अतीत की यादों में खोने लगता है। वही घटना मस्तिष्क पर चलचित्र की भांति चलने लगती है। कक्षा नवम् में त्यागी पढ़ती थी उसी क्लास में अमीर ने एडमिशन लिया। वािर्षक परीक्षा में त्यागी व अमीर के रोल नं. पास-पास होने से परीक्षा भवन में त्यागी ने अमीर से कुछ प्रश्नों के हल पूछें। परीक्षाफल आने पर अमीर को प्रथम स्थान प्राप्त हुआ व त्यागी भी उत्तीर्ण हो गई।
कक्षा दशम् में त्यागी ने अन्य बडे़ विद्यालय में प्रवेश लिया। दोनों में वर्ष-पर्यन्त कोई मुलाकात नहीं हुई। संयागवश त्यागी के छोटे भाई निर्मल ने अमीर वाले विद्यालय की कक्षा 6 में प्रवेश लिया। निर्मल व अमीर की दोस्ती हो गई जो समय के साथ प्रगाढ़ होती गई।
बन्टू, अमीर का अच्छा मित्र था। दोनों एक साथ खेलकर बड़े हुए, बन्टू अमीर की रग-रग से वाकिफ था, भलीभांति परिचित था। बन्टू यह अवश्य जानता था कि निर्मल अमीर का मित्र है लेकिन वह यह नहीं जानता था कि निर्मल त्यागी का छोटा भाई भी है। जहां बन्टू ट्यूशन के लिए जाता था वहाँ त्यागी व निर्मल भी आते थे। बन्टू ने एक दिन मजाक में ही निर्मल से कह दिया कि-`तुम्हे अमीर ने मिलने बुलाया है।´
त्यागी ने निर्मल को डांटते हुए कहा - `ऐसे वैसे लड़कों से मत मिला करो।´
बन्टू अमीर को सर से पांव तक जानता था। ये वाक्य सुनकर उससे भी रहा नहीं गया। उसने भी कहा - `आपने मेरे मित्र के बारे में ऐसा कैसे कहा, आपने मेरे मित्र में क्या खराबी देखी है ?´
यह घटना यदि बंटू तक ही सीमित रहती तो वह आज यहाँ प्रस्तुत नहीं होती। बन्टू ने जब इस घटना का उल्लेख अमीर से किया तो उसके पांवो के नीचे से जमीन खिसक गई। उसे करारा झटका लगा कि जिसके बारे में यादों के सपने देखता था उसने ही गलत समझा। उसे अपना सपना शीशे की भांति चकनाचूर होता नजर आया।
बडी बहन त्यागी की मनाही के पश्चात भी निर्मल अमीर से मिलने पहुंच गया। अमीर ने निर्मल से कहा- `जब आपकी बहन मिलने से मना करती है तो मुझ जैसे लडकों से मत मिला करो।´
समय पंख लगाकर उड़ता गया। निर्मल व अमीर की दोस्ती पर कोई फर्क नहीं पड़ा। दोनों के संबंध उत्तरोत्तर प्रगाढ़ होते गये। अमीर जब भी निर्मल को त्योंहार पर बुलाता तो वह सहर्ष आ जाता लेकिन निर्मल जब भी अमीर को बुलाता वह जाता लेकिन पुरानी घटना स्मरण आते ही कोई बहाना बनाकर मार्ग से वापस आ जाता। अमीर जब रास्ते से वापस आ जाता तो निर्मल पूछता- `वापस क्यों चले जाते हो ?´ अमीर का यही जवाब की कहीं आपकी बहन उस दिन की तरह कुछ और न कह दे। पहले अपने बहन से पूछ लेना फिर कहना। निर्मल कहता कि ऐसा कुछ नहीं होगा लेकिन अमीर के दिल की कसक यही थी कि वैसी ही किसी घटना से पुन: रूबरू न होना पड़े इसके लिए वह निर्मल के घर नहीं जाता। निर्मल को भी कुछ ग्लानि अनुभव होती थी।
इस तरह पांच वर्ष गुजर जाते हैं। अमीर कॉलेज में फाइनल में पहुंच जाता है। दीपावली के त्यौंहार से एक रोज पूर्व निर्मल, अमीर के घर जाकर कहता है- `कल दिवाली है, आपको घर पर आना है। आपको जीजी (त्यागी) ने बुलाया है। अब अगर नहीं आये तो आपसे मेरी यह अन्तिम मुलाकात होगी। इतना कहकर निर्मल प्रस्थान कर गया।
अगले दिन अमीर व बन्टू निर्मल के घर जाते हैं। अमीर की त्यागी से बात नहीं होती है। कुछ दिन पश्चात एक दोस्त के घर अमीर की त्यागी से मुलाकात हुई लेकिन वह उन `शब्द-बाणों´ के बारे में नहीं पूछ पाता है ं जो त्यागी ने कहे थे। आज भी जब अमीर का ध्यान अतीत पर जाता है तो वही बात मस्तिष्क में बिजली की भांति कौंधन लगती है कि त्यागी ने ऐसा क्यों कहा था। अमीर को अपने प्रश्नों का आज तक हल नहीं मिल सका। वह सोचता है क्या यह रहस्य कभी खुल पाएगा या रहस्य ही रह जाएगा ?

1 टिप्पणी:

Aapk Salah Ke liye Dhnyavad